लघुचित्र, डायरी, वीडियो, बातचीत : इस अनुभाग में बताया गया हर एक काम आपको हमारे और हमारे काम के करीब लाता है। यह हमारे सामने मौजूद चुनौतियाँ बताते हैं, जिन्हें हमने अपने उद्देश्य के करीब आने के लिए पार की हैं
हमारी तीन परिचालन इकाइयाँ हैं – फील्ड संस्थान, फ़िलंथ्रोफ़ी और विश्वविद्यालय। यह तीनों एकजुट तरीके से फ़ाउण्डेशन के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती हैं। एक न्यायसंगत, समतामूलक, मानवीय और सस्टेनबल समाज की दिशा में योगदान देना फ़ाउण्डेशन का उद्देश्य है। हम आपके लिए तीनों इकाइयों से, सीधे भारत भर में हमारे लोगों और भागीदारों से कहानियों का एक संग्रह लाए हैं। कहानियों के इस संग्रह में वीडियो, एनीमेशन, साक्षात्कार और पत्रिकाएँ मौजूद हैं। यह हमारे कार्य के विभिन्न क्षेत्रों में फ़ाउण्डेशन की यात्रा और प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं।
नक्षत्रगळु, भाग 8। उमाशंकर पेरियोडी की वाणी एम.एल. (मांड्या, कर्नाटक) से बातचीत
नक्षत्रगळु के आठवें भाग में एक ऐसी शिक्षिका की कहानी प्रस्तुत की जा रही है, जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से अपने स्कूल की कायापलट कर दी है। इस शिक्षिका से हमें उमाशंकर पेरियोडी मिला रहे हैं। उमाशंकर अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन के कर्नाटक राज्य के हेड हैं।
नक्षत्रगळु । भाग 07 । व्यंकटेश डी.एस., मांड्या, कर्नाटक के साथ उमाशंकर पिरियोडी
नक्षत्रगळु के इस सातवे भाग में उमाशंकर पिरियोडी एक शिक्षक की कहानी बता रहा हैं। यह कहानी कर्नाटक के मांड्या ज़िले के पांडवपुरा तहसिल के एक शिक्षक के दृढ़ संकल्प और धैर्य की दास्तान है। इस कहानी से जाने कि किस तरह वेंकटेश डी.एस. का बदलाव के प्रति उत्साह, उनके गाँव की आजीविका और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाता है।
नक्षत्रगळु । भाग 06। शिवबसप्पा, माण्ड्या, कर्नाटक
यह नक्षत्रगळु का छठा एपिसोड है। इसमें अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन के कर्नाटक हेड उमाशंकर पिरिओडी हमें एक शिक्षक के धैर्य और संकल्प भरे सफ़र पर ले जा रहे हैं। यह कहानी शिवबसप्पा की है, जो हुलिकेरे हायर प्राइमरी स्कूल, मांड्या में शिक्षक हैं। अभी सुनें।
नक्षत्रगळु । भाग 05 । धर्म विष्णु नायक, उत्तर कनाडा, कर्नाटक
नक्षत्रगळु के इस पाँचवे भाग में धर्म विष्णु नायक की कहानी सुना रहे हैं। धर्म विष्णु नायक कर्नाटक के उत्तर कन्नड ज़िले के एक स्कूल में शिक्षक हैं। उन्होंने अपने स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा को बदलाव की लहर से गुज़ारा है।
विषयगत क्षेत्र: स्कूल शिक्षा प्रदर्शन कार्यशाला – अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन, बाड़मेर
इस तरह की प्रदर्शन कार्यशालाएं शिक्षक समुदाय को सार्थक शैक्षणिक चर्चाओं के माध्यम से एक-दूसरे का पूरक बनने, मदद करने और एक-दूसरे से सीखने का अवसर देती हैं। यह शिक्षक क्षमता निर्माण में योगदान देती हैं, जो राजस्थान के बाड़मेर में सभी ब्लॉकों में आयोजित लगातार प्रशिक्षण सत्रों को आधार प्रदान करती हैं।
आपदा प्रबंधन में ग्राम सभा की भूमिका | लूपुंगपाट गांव,
गुमला ज़िले के लुपुंगपाट गांव की ग्राम सभा ने कोविड-19 के दौरान अपने सक्रिय और सामूहिक निर्णय के ज़रिए कई गांवों को प्रेरित किया। यह कहानी संकट के दौरान सामूहिक इच्छा शक्ति, प्रतिबद्धता और ग्राम सभा द्वारा कई मुश्किल कामों को अंजाम देने का एक स्पष्ट उदाहरण है।
ग्राम सभाओं में पंचायत की भूमिका | आर्या पंचायत
गुमला ज़िले के बसिया ब्लॉक की आर्या पंचायत की मुखिया जसिंता बागे अपनी पंचायत को नई दिशाओं में ले जा रही हैं। मुखिया के तौर पर जसिंता ने पंचायत और ग्राम सभा के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया है, जिसके परिणामस्वरूप आर्या के लोगों की समस्याओं का तुरंत और प्रभावी समाधान हो रहा है।
साहित्य उत्सव, बाड़मेर, राजस्थान
बाड़मेर साहित्य उत्सव (14 से 18 फरवरी, 2024) से 5 हज़ार से ज़्यादा पाठकों और पुस्तक प्रेमियों को इकट्ठा हुए। यह उत्सव बाड़मेर के शिक्षा विभाग के सहयोग से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन, बाड़मेर, राजस्थान में आयोजित किया गया।
टीकाकरण की सफलता: घरेलू सर्वेक्षण की भूमिका – उत्तराखंड से कोविड-19 की कहानियाँ
यह डॉक्युमेंट्री तस्वीरों के ज़रिए आगे बढ़कर पहली पंक्ति में काम करने वाले उत्तराखंड के 24 बहादुर लोगों की कहानी बताती है। इसमें राज्य के टीकाकरण अभियान में हर एक घर तक पहुँचकर टीकाकरण करने वाले लोगों की कहानी बताई गई है। इन लोगों की मेहनत और लगन से किए गए सर्वे के बदौलत राज्य में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में मदद मिली है।
नक्षत्रगळु : भाग 04 । संगय्या, यादगिर, कर्नाटक
यह नक्षत्रगळु की चौथी कड़ी है। इस कड़ी में उमाशंकर पेरीओडी हमें संगय्या के जागरुकता बढ़ाने की कोशिशों की जानकारी दे रहे हैं। संगय्या ने कर्नाटक के यादगीर ज़िले के सुरपुर में गद्दालामारी स्कूल के आस-पास के गांवों में जागरूकता निर्माण के सराहनीय प्रयास किए। उन्होंने समुदाय के लोगों को इकट्ठा किया और अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। उनकी इन कोशिशों की बदौलत स्कूल मे लड़कियों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हुई।