लघुचित्र, डायरी, वीडियो, बातचीत : इस अनुभाग में बताया गया हर एक काम आपको हमारे और हमारे काम के करीब लाता है। यह हमारे सामने मौजूद चुनौतियाँ बताते हैं, जिन्हें हमने अपने उद्देश्य के करीब आने के लिए पार की हैं
हमारी तीन परिचालन इकाइयाँ हैं – फील्ड संस्थान, फ़िलंथ्रोफ़ी और विश्वविद्यालय। यह तीनों एकजुट तरीके से फ़ाउण्डेशन के उद्देश्य को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती हैं। एक न्यायसंगत, समतामूलक, मानवीय और सस्टेनबल समाज की दिशा में योगदान देना फ़ाउण्डेशन का उद्देश्य है। हम आपके लिए तीनों इकाइयों से, सीधे भारत भर में हमारे लोगों और भागीदारों से कहानियों का एक संग्रह लाए हैं। कहानियों के इस संग्रह में वीडियो, एनीमेशन, साक्षात्कार और पत्रिकाएँ मौजूद हैं। यह हमारे कार्य के विभिन्न क्षेत्रों में फ़ाउण्डेशन की यात्रा और प्रभाव को प्रदर्शित करती हैं।
नक्षत्रगळु । भाग 06। शिवबसप्पा, माण्ड्या, कर्नाटक
यह नक्षत्रगळु का छठा एपिसोड है। इसमें अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन के कर्नाटक हेड उमाशंकर पिरिओडी हमें एक शिक्षक के धैर्य और संकल्प भरे सफ़र पर ले जा रहे हैं। यह कहानी शिवबसप्पा की है, जो हुलिकेरे हायर प्राइमरी स्कूल, मांड्या में शिक्षक हैं। अभी सुनें।
नक्षत्रगळु । भाग 05 । धर्म विष्णु नायक, उत्तर कनाडा, कर्नाटक
नक्षत्रगळु के इस पाँचवे भाग में धर्म विष्णु नायक की कहानी सुना रहे हैं। धर्म विष्णु नायक कर्नाटक के उत्तर कन्नड ज़िले के एक स्कूल में शिक्षक हैं। उन्होंने अपने स्कूल में दी जाने वाली शिक्षा को बदलाव की लहर से गुज़ारा है।
विषयगत क्षेत्र: स्कूल शिक्षा प्रदर्शन कार्यशाला – अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन, बाड़मेर
इस तरह की प्रदर्शन कार्यशालाएं शिक्षक समुदाय को सार्थक शैक्षणिक चर्चाओं के माध्यम से एक-दूसरे का पूरक बनने, मदद करने और एक-दूसरे से सीखने का अवसर देती हैं। यह शिक्षक क्षमता निर्माण में योगदान देती हैं, जो राजस्थान के बाड़मेर में सभी ब्लॉकों में आयोजित लगातार प्रशिक्षण सत्रों को आधार प्रदान करती हैं।
साहित्य उत्सव, बाड़मेर, राजस्थान
बाड़मेर साहित्य उत्सव (14 से 18 फरवरी, 2024) से 5 हज़ार से ज़्यादा पाठकों और पुस्तक प्रेमियों को इकट्ठा हुए। यह उत्सव बाड़मेर के शिक्षा विभाग के सहयोग से अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन, बाड़मेर, राजस्थान में आयोजित किया गया।
टीकाकरण की सफलता: घरेलू सर्वेक्षण की भूमिका – उत्तराखंड से कोविड-19 की कहानियाँ
यह डॉक्युमेंट्री तस्वीरों के ज़रिए आगे बढ़कर पहली पंक्ति में काम करने वाले उत्तराखंड के 24 बहादुर लोगों की कहानी बताती है। इसमें राज्य के टीकाकरण अभियान में हर एक घर तक पहुँचकर टीकाकरण करने वाले लोगों की कहानी बताई गई है। इन लोगों की मेहनत और लगन से किए गए सर्वे के बदौलत राज्य में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने में मदद मिली है।
नक्षत्रगळु : भाग 04 । संगय्या, यादगिर, कर्नाटक
यह नक्षत्रगळु की चौथी कड़ी है। इस कड़ी में उमाशंकर पेरीओडी हमें संगय्या के जागरुकता बढ़ाने की कोशिशों की जानकारी दे रहे हैं। संगय्या ने कर्नाटक के यादगीर ज़िले के सुरपुर में गद्दालामारी स्कूल के आस-पास के गांवों में जागरूकता निर्माण के सराहनीय प्रयास किए। उन्होंने समुदाय के लोगों को इकट्ठा किया और अपनी बेटियों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित किया। उनकी इन कोशिशों की बदौलत स्कूल मे लड़कियों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हुई।
महिला वैक्सिन वॉरियर: कोविड-19 राजस्थान से कुछ अनुभव
यह कोविड-19 के दौरान सबसे आगे की पंक्ति में काम करने वाली 11 महिलाओं की कहानी है। इन महिलाओं ने राजस्थान में टीकाकरण अभियान में बेहद ज़रूरी योगदान दिया। इन फोटो डॉक्यूमेन्ट्री में इन्हीं बहादुर महिलाओं के अनुभव दिखाए गए हैं।
समर कैंप 2022: स्कूल वापसी का राह
जब महामारी की वजह से बंद स्कूल 18 महीनों बाद फिर से खुले, तो हमने विद्यार्थियों को फिर से स्कूल जाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए समर कैंप का आयोजन किया। यहाँ राजस्थान के बाड़मेर की एक झलक दी जा रही है।
मोरी में टीकाकरण अभियान: एक मुश्किल चढ़ाई
हमने भारत में कोविड टीकाकरण कार्यक्रम के समर्थन में काम किया है। ख़ासतौर पर हमने कुछ दूर-दराज़ और पिछड़े ज़िलों में हम पहले से मौजूद थे, यहाँ काम करना काफ़ी चुनौतियों से भरा था। पेश है उस समय की एक अनकही कहानी:
एक डॉक्टर का अनुभव: राजस्थान से COVID-19 कहानियाँ
यह कहानी "क्रॉनिकलिंग कोविड-19 इन इंडिया" शृंखला का एक हिस्सा है। इसके तहत राजस्थान की कई कहानियाँ प्रस्तुत की गई हैं, जिनमें से यह पहली कहानी है। इसमें नाथद्वारा ज़िला अस्पताल, राजसमंद के डॉ. बीएल जाट की कहानी पेश की गई है: