अज़ीम प्रेमजी स्कूल, भारत में K-12 शिक्षा को बेहतर बनाने के हमारे काम का अभिन्न अंग है
हम स्कूलों को सुरक्षित, सार्थक और सब को साथ लेकर चलने वाली जगह बनाना चाहते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि हम बच्चों और शिक्षकों को इन गुणों से भरपूर स्कूल उपलब्ध करवा सकें। एक स्कूल कैसा होना चाहिए, इसे अज़ीम प्रेमजी स्कूल सच बनाकर दिखाते हैं। यह स्कूल हम जिस तरह के हम जिस तरह का काम करते हैं जिस तरह के बदलाव सरकारी स्कूल सिस्टम में लाना चाहते हैं, उनका आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
अज़ीम प्रेमजी स्कूल भारत में K-12 शिक्षा को बेहतर बनाने के हमारे काम का अभिन्न अंग हैं। हमारा मानना है कि खुले संवाद, बात को कहने की आज़ादी, साझा संसाधनों की स्वीकृति, आसपास के माहौल और लोगों के प्रति संवेदनशीलता के भाव के होने पर बेहतर शिक्षा संभव हो सकती है। विद्यार्थियों और स्टाफ़ के सदस्यों को भय, अवरोध और सामाजिक बाधाओं से मुक्त माहौल देने की कोशिश रहती है।
हमने 2012 में पहला अज़ीम प्रेमजी स्कूल शुरु किया था। इस समय भारत भर में (कर्नाटक, छत्तीसगढ़, राजस्थान और उत्तराखंड) नौ अज़ीम प्रेमजी स्कूल चल रहे हैं।
- Barmer, Rajasthan
- Bengaluru, Karnataka
- Dhamtari, Chattisgarh
- Kalaburagi, Karnataka
- Sirohi, Rajasthan
- Tonk, Rajasthan
- Udham Singh Nagar, Uttarakhand
- Uttarkashi, Uttarakhand
- Yadgir, Karnataka

हमारे स्कूल राज्य शिक्षा बोर्डों से जुड़े हुए हैं और राज्य के द्वारा बताए गए पाठ्यक्रम का ही पालन करते हैं। बच्चों को पढ़ाने में अन्य संसाधनों को शामिल करने के लिए भी शिक्षकों को प्रोत्साहित किया जाता है। हमने हाल ही में अपने स्कूलों में चरणबद्ध तरीके से अंग्रेज़ी माध्यम को अपनाया है। हम इस बात का ख़ास ध्यान रखते हैं कि बच्चे प्राथमिक कक्षाओं में बुनियादी साक्षरता और अंकों का कौशल पाए।
हम शिक्षकों के पेशेवर विकास को बढ़ावा देते हैं। स्कूल प्रक्रियाओं को लेकर हमारे व्यापक नज़रिए को शिक्षकों के साथ साझा करने के लिए हमारे ज़िला संस्थानों ने एक सिस्टम बनाया। इस सिस्टम में स्कूल एनेब्लिंग ग्रुप भी हैं, जो हमारे नज़रिए में तालमेल बैठाने का काम करते हैं।
अज़ीम प्रेमजी विद्यालय
हमारा यह मानना है कि सभी के लिए शिक्षा आसानी से उपलब्ध होनी चाहिए, इसलिए हमारे सारे स्कूलों में पैसा नहीं लगता है। हम अलग-अलग और हर तरह की सामाजिक-आर्थिक और धार्मिक पृष्ठभूमि से आने वाले विद्यार्थियों का स्वागत करते हैं। इसके अलावा, हम स्थानीय समुदायों के लोगों को अपने बच्चों का दाखिला हमारे स्कूलों में करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। इस समय, कुछ स्कूलों में माध्यमिक स्तर तक की कक्षाएं ही चल रही हैं, जिन्हें आगे K-12 कक्षाओं तक बढ़ाया जाएगा।
बच्चों का स्वास्थ्य और पोषण भी हमारे काम अहम पहलू है। हम अपने स्कूलों में पूरक नाश्ता और दोपहर का भोजन देते हैं। हम बच्चों के स्वास्थ्य की नियमित जांच भी करवाते हैं। हम माता-पिता को उनके बच्चों के खाने-पीन और पोषण से जुड़ी बातों के बारे में जागरूक करने के लिए समय-समय पर कई कार्यक्रम आयोजित करवाते हैं।
हमारा मानते हैं कि, बच्चों की पूरी शैक्षिक यात्रा में उनके माता-पिता भी बराबर के साझीदार हैं। इसलिए, हम बच्चे कक्षा के भीतर और बाहर क्या सीख रहे हैं, इसमें सक्रिय रुचि लेने के लिए माता-पिता को प्रोत्साहित करते हैं। हम शिक्षकों तथा विद्यार्थियों और स्कूल व समुदाय के बीच अच्छे संबंधों के बने रहने पर भी ज़ोर देते हैं। हम माता-पिता के साथ समय-समय पर बातचीत, घर के दौरे और सामुदायिक बैठकों के माध्यम से इस पर काम करते हैं।