फ़ील्ड संस्थान

FieldInstitutes

शिक्षा को बेहतर बनाना और उसे सब तक पहुँचना हमारे काम मुख्य मार्गदर्शक बिंदु है

हमने अपने काम की शुरुआत शिक्षा के क्षेत्र में की थी, जहाँ हमारा मानना था कि बेहतर स्कूली शिक्षा से समाज में सकारात्मक बदलाव की शुरुआत की जा सकती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हमने सन् 2001 में स्कूली शिक्षा में पहला कदम रखा। यहाँ हमने कुछ कार्यक्रमों के ज़रिए काम की शुरुआत की। हमने सार्वजनिक स्कूल शिक्षा सबसे ज़रूरी चुनौतियों का सामना करने से शुरुआत की। इसमें स्कूल की पढ़ाई छोड़ देने वाले बच्चों की संख्या कम करने की कोशिश की गई। हमने स्कूलों को सुरक्षित और सबके लिए समान व्यवहार वाकरने वाली जगह बनाने की भी कोशिश की। हमारे लर्निंग गँरंटी प्रोग्रैम, चाइल्ड फ्रेंडली स्कूल जैसे प्रोग्रैंम्स ने शिक्षा को न सिर्फ़ बेहतर बनाया, बल्कि सीखने की प्रक्रिया को भी तेज़ किया और सरकारी शिक्षा के क्षेत्र की कई चुनौतियों व चिंताओं को दूर करने में मदद की।

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इसके दस सालों बाद हमने अपने नज़रिए में बदलाव लाया और एक संस्था के रूप में काम करना शुरु किया। हमारा इरादा सरकारी स्कूल सिस्टम को मज़बूत बनाना है, जो हमारे गहरे और बेहद मेहनत से किए जाने वाले फ़ील्ड के कामों साफ़ दिखाई देता है। फ़िल्ड में काम करने वाले हमारे लोग लगातार उन लोगों के साथ मिलकर काम करते हैं, जिनका क्लासरूम में सीखने-सिखाने की प्रक्रिया पर सीधा प्रभाव होता है। हमारे फ़ील्ड में काम करने वाले लोग शिक्षकों, मुख्याध्यापकों और शिक्षा विभाग के कर्मचारियों के साथ मिलकर काम करते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में हमारा काम देश के 7 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश में फैला हुआ है।

फ़ील्ड में हमारे काम का अहम हिस्सा रिसर्च है। हमारी टीमें स्कूली शिक्षा में मौजूद ज़रूरी मुद्दों का अध्ययन और शोध करती है। इसके लिए प्राथमिक डेटा उन ज़िलों से इकट्ठा किया जाता है, जिन ज़िलों में कम काम कर रहे हैं। अपने शोध के ज़रिए हम पॉलिसी बनाने में मदद करना चाहते हैं। इसके साथ ही हम अपने अनुभवों और अध्ययन को शिक्षा के क्षेत्र में काम करने वालों और अकादमिक क्षेत्र में ज़मीनी स्तर पर काम कर रहे लोगों तक काम पहुँचाना चाहते हैं।

कोरोना महामारी के दौरान हमने बड़े स्तर पर टीकाकरण में मदद की है। इसके बाद वर्ष 2022 में फ़ाउण्डेशन ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना काम शुरु किया। इसकी शुरुआत बेंगलूरु की ती अलग-अलग झुग्गियों में शुरु किए गए स्लम क्लस्टर से हुई। इसके बाद, वर्ष 2023 में यह काम झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के सीमाओं के आस-पास के 10 ज़िलों तक फैला। इसी साल हमने अज़ीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, भोपाल मास्टर्स प्रोग्रैम इन पब्लिक हेल्थ की शुरुआत की।

अब हम स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी काम करने की विशेषज्ञता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सिस्टम को और बेहतर बनाया जा सके। इसके लिए ज़मीनी स्तर के विस्तृत और व्यापक काम को साथ लाना ज़रूरी है।

हम आजीविका के क्षेत्र में भी काम कर रहे हैं।

बेहतर और लगाकार मिलने वाली आमदनी से किसी भी परिवार का जीवन बेहतर हो सकता है। हमारी कोशिश है कि समुदाय और लोगों को उनका जीवन बेहतर बनाने के लिए मदद करें। हमारी टीमें लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कई तरह लोगों को प्रोत्साहित करती हैं, उन्हें पारंपरिक आजीविका को अपनाने के रास्ते बताती है, समुदायों में मनरेगा व राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसी सरकारी अधिकारी के प्रति जागरुक करने जैसे कई काम करती हैं। इन कामों से हमारी टीमें लोगों की आमदनी के ज़रिए बताने की कोशिश करती हैं।

स्वास्थ्य और शिक्षा की तरह ही आजीविका में भी हमारा काम भारत के सबसे कमज़ोर और हाशिए पर जी रहे लोगों की मदद करना है। हमने आजीविका के क्षेत्र में अपने काम की शुरुआत मध्य भारत के आदिवासी क्षेत्र से की, जिनमें छत्तीसगढ़ का रायगढ़ और झारखण्ड का गुमला ज़िला शामिल है।

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