हमारा परिचय

Who we are

उद्देश्य और नज़रिया

हम एक लाभ-निरपेक्ष संस्था हैं। हमारा मकसद न्यायपूर्ण, समानता पर आधारित, मानवीय और विकासशील समाज बनाने में योगदान देना है। इस तरह का समाज बनाने के लिए हम संपूर्ण भारत में काम कर रहे हैं।

हमारा उद्देश्य भारतीय संविधान के मूल्यों के मुताबिक लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाना और देश को आगे बढ़ाने में हाथ बटाना है। समाज को आगे बढ़ाने का यह काम हम कई पहलों और कार्यक्रमों में भागीदारी के ज़रिए करते हैं।

purposeandapproach

चित्र साभार - दिलीप प्रकाश

हमारा काम दो पहलुओं से मिलकर बनता है।

हमारे काम का पहला पहलू हमें लोगों की ‘बुनियादी ज़रूरतों’ को पूरा करने की ओर ले जाता है। इसमें हम लोगों की रोज़गार, रोटी, शिक्षा, मकान, स्वास्थ्य, स्वच्छता व सुरक्षा जैसी बुनियादी ज़रूरतों के लिए काम करते हैं।

हमारे काम का दूसरा पहलू ‘बुनियादी मानवीय मूल्यों’ से जुड़ा हुआ है। हमारा मानना है कि कोई भी अन्याय, भेद-भाव या शोषण शिकार नहीं होना चाहिए। हर किसी को मानवता और सहानुभूति का व्यवहार करते हुए शांति और सद्भाव के साथ जीने का हक़ है।

हम अपने काम के इन दोनों पहलुओं को साथ में जोड़कर देखते हैं। जब लोगों की बुनियादी ज़रूरतें पूरी होती हैं, तब समाज के दबे-कुचले या अनदेखे किए जाने वाले लोगों को भी अपनी बात पहुँचाने की ताकत मिलती है। इसी तरह, जब हम बुनियादी मानवीय मूल्यों पर काम करते हैं और उन्हें लागू करने की कोशिश करते हैं, तो कई लोगों व समाज का जीवन और भी सम्मानजनक होता है।

अपने नज़रिए से काम करने के लिए हम तीन माध्यमों से काम करते हैं। सबसे पहला माध्यम, हम अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाली अपनी संस्थाएँ बनाते हैं। इसके अलावा हमारे काम के क्षेत्र के प्रोजेक्ट्स पर काम करने के लिए सरकारों के साथ भागीदारी करते हैं। तीसरे, हम संपूर्ण देश में कई संस्थाओं के साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर काम करते हैं। इस तरह के हमारे सहयोगी संगठनों में देश के दूर-दराज़ के इलाकों और ऐतिहासिक रूप से पीछे छूट गए इलाकों के भी संगठन शामिल हैं।

हमारी फील्‍ड संस्थाएँ, ग्रांट्स और विश्‍वविद्यालय तीनों इकाइयाँ कंधे से कंधा मिलाकर एक साथ काम करते हैं। शिक्षा के क्षेत्र में हमारे गहन ज़मीन से जुड़े कामों ने हमारे दायरे को स्वास्थ्य और आजीविका के क्षेत्रों तक ले जाने की बुनियाद तैयार की है।

ज़मीनी स्तर पर किए जाने वाले हमारे काम का मकसद बदलाव लाना है। इस काम के साथ ही हम जिन लोगों के लिए काम करते हैं, उनके लिए विनम्रता और सम्मान का भाव भी रखते हैं। हम सभी लोगों में बीच भी इन्हीं भावों को देखना चाहते हैं। सबसे कमज़ोर और ज़रूरतमंद के काम आना और उनकी किसी भी ज़रूरत को पूरा करने के लिए काम करना ही जीवन की सार्थकता है।

हम समझ सकते हैं कि लंबे समय तक टिके रहने वाले असरदार बदलाव लाने के लिए ज़मीन से जुड़कर लगातार काम करना होगा।

सार्थक बदलाव लाने और सुधार करने के लिए ज़मीनी स्तर पर काम करने वाली सशक्त संस्थाओं की ज़रूरत होती है। हम शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न और सामाजिक सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सार्वजनिक सिस्टम के महत्व और मूल्य के हामी हैं। हम लोकतांत्रिक समाज में अलग-अलग तरह की नागरिक समाज संस्थाओं की भूमिका का सम्मान करते हैं और उनके महत्व को भी समझते हैं।

आसान और कम शब्दों में कहा जाए, तो हम ज़मीनी स्तर से जुड़कर काम करने लेकर समाज के अलग-अलग हिस्सों में काम करने के लिए नई संस्थाओं की स्थापना करते और उन्हें चलाते हैं। ज़मीनी स्तर पर हम अपनी संस्थाओं के अलावा दूसरी कई संस्थाओं के साथ मिलकर भी काम करते हैं। नई संस्थाओं में हमने विश्‍वविद्यालय जैसी संस्थाओं की भी स्थापना की है। हम सार्वजनिक सिस्टम्स को बेहतर बनाने के लिए बेहतर-से-बेहतर योजनाएँ बनाने और उन्हें लागू करने के लिए सरकारों की भी सहायता करते हैं।

हम काम करते हुए सीखते हैं और नज़रिया बनाते हैं

  • हमारे क्षेत्र में काम करने के लिए ज़मीनी से जुड़ी विशेषज्ञता बहुत मायने रखती हैं। हमें अलग-अलग स्तर की तकनीकी, सामाजिक-मानवीय और ऑपरेशनल विशेषज्ञता की ज़रूरत है। काम करने वाले में जुनून और ईमानदारी से काम की विशेषज्ञता को नई ताकत मिलती हैं।    
  • आसान और सीधे तरीकों से किए गए काम में बदलाव लाने की सबसे ज़्यादा संभावनाएँ होती हैं।  
  • मेहनत और गुणवत्ता से किए गए काम के नतीजे समाज, समुदाय और उसके हर एक व्यक्ति के लिए उपयोगी और मूल्यवान होने चाहिए।  
  •  हर एक काम का एक उद्देश्य और मूल्य होना चाहिए। यह दोनों हमारे काम के मूल में हैं। जितना लक्ष्य ज़रूरी है, उतने ही साधन या ज़रिया भी मायने रखता है। 
  • हमारे काम और हमारे काम के योगदान की कुछ सीमाएँ हो सकती हैं। लेकिन इस वजह से हमारी कोशिशों में किसी भी तरह की कमी नहीं रहनी चाहिए। 
  • किसी व्यक्ति या समाज के लिए जीवन में सबसे ज़रूरी क्या है, इसे शायद ही बताया जा सकता है। मान-सम्मान, सेवा भाव से की जाने वाली देखभाल, साहस और अपने आप को किसी भी तरह के हालातों में ढालने जैसे कामों को किसी भी तरह से भरोसा और ईमानदारी के पैमानों पर नहीं मापा जा सकता है। भले ही हम बच्चे बुनियादी भाषा और गणित किस तरह और कैसे सीख रहे हैं, इसे माप सकते हैं, लेकिन बच्चे आपस में कैसे मेल-मिलाप कर रह हैं, कैसे एक-दूसरे की देखभाल करना सीख रहे हैं या जीवन में कैसे साथ रहना और दूसरों को साथ लेकर चलना सीख रहे हैं, इन चीज़ों को मापना लगभग नामुमकिन है।     
अज़ीम प्रेमजी फ़ाउण्डेशन रिपोर्ट दिसंबर 2024: पीडीएफ देखें
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